Hakini Mudra Meditation हाकिनी मुद्रा से सक्रीय होती है तीसरी आँख और मिलते है ये 10 फायदे
सत्यमेधा डिवाइन मेडिटेशन टीम (स्वास्थ्य थेरेपी)
योग मुद्रा क्या है
योगिक मुद्राएँ हज़ारों सालों से भारत में आध्यात्मिक प्रथाओं का अभिन्न अंग रही हैं और इन्हें प्राचीन भारतीय कला और मूर्तिकला में दर्शाया गया है। हिंदू धर्म में, मुद्राओं का उपयोग मंदिर के अनुष्ठानों और नृत्य प्रदर्शनों में किया जाता है, और बौद्ध धर्म में, इनका उपयोग बुद्ध की मूर्तियों और अनुष्ठान नृत्यों में किया जाता है। संतुलन के लिए मुद्रा मन और शरीर को स्थिर करने में मदद करती है, आंतरिक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देती है। योग मुद्राओं की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई है और इसका उल्लेख हठ योग प्रदीपिका और घेरंडा संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
क्या है हाकिनी मुद्रा
हकीनी मुद्रा, एक सरल लेकिन शक्तिशाली योगिक मुद्रा है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए कई लाभ प्रदान करता है। हाकिनी मुद्रा में हाथ की पांचों अंगुलियों का प्रयोग होता है और यह मुद्रा इतना प्रभावी है कि कई मशहूर हस्तियां किसी पब्लिक अपीयरेंस जैसे कि इंटरव्यू, भाषण देना, कुछ निर्देश देने के समय आत्मविश्वास महसूस करने और बातचीत के दौरान प्रभावी दिखने अथवा मानसिक रूप से खुद को स्थिर रखने के लिए इस मुद्रा का इस्तेमाल करते हैं।
हकिनी मुद्रा न केवल करता है बल्कि वक्ता के आत्मविश्वास को बढ़ाता है बल्कि यह घबराहट को भी कम करता है
। हकीनी मुद्रा योग और ध्यान में एकाग्रता, स्मृति और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक शक्तिशाली मुद्रा ध्यान प्रक्रिया है। इसका नाम हकीनी के नाम पर रखा गया है, जो छठे चक्र से जुड़ी एक हिंदू देवी है, जिसे “तीसरी आँख” या “अजना” चक्र के रूप में भी जाना जाता है। यह चक्र अंतर्ज्ञान, अंतर्दृष्टि और मानसिक कौशल के लिए जिम्मेदार है। आपके ब्रेन की न केवल क्षमता बढ़ती है बल्कि यह आपको भी शक्तिशाली और ऊर्जावान महसूस कराता है।
Hakini Mudra Meditation
हाकिनी मुद्रा क्यों महत्वपूर्ण है?
योगियों द्वारा ऐसा अनुभव किया गया कि इस मुद्रा को रोजाना करने से मस्तिष्क का आगे का हिस्सा उत्तेजित होता है, जिससे ब्रेन की पावर बढ़ती है और व्यक्ति की एकाग्रता बेहतर होती है। इससे तनाव और चिंता का स्तर कम होता है। आगे जानते हैं इस मुद्रा से होने वाले फायदे।
हाकिनी मुद्रा के द्वारा शरीर के पांचों तत्वों (वायु, अग्नि, जल, पृथ्व और आकाश) को बैलेंस करने का प्रयास किया जाता है।
पांचों उंगलियों को इन पांचों तत्वों का प्रतीक माना जाता है। इसमें अंगूठे को आग, तर्जनी उंगली को वायु, मध्यमा उंगली को आकाश, अनामिका (रिंग फिंगर) उंगली को पृथ्वी और छोटी उंगली को जल का प्रतीक माना जाता है। जब आप दोनों हाथों से इस मुद्रा को करते हैं, तो इससे एक्यूप्रेशर होता है। इससे शरीर के पांचों तत्व के बीच तालमेल बनाता है।
हठ योगसूत्र क्या कहता है
सात योगिनी देवियाँ हमारे मानव शरीर के मानसिक चक्रों में मौजूद हैं, और प्रत्येक देवी एक चक्र का प्रतिनिधित्व करती है। यहाँ हकीनी अजना चक्र का प्रतिनिधित्व करती है। संस्कृत में, हकीनी का अर्थ है शक्ति या शासन।
यह मुद्रा अभ्यासकर्ता को अपने मन को नियंत्रित करने की शक्ति देती है। यह प्राण को संतुलित, सामंजस्य और चैनलाइज़ करने में मदद करती है
, जिससे मन पर प्रभाव पड़ता है। हठ योग की उत्पत्ति के बावजूद, यह कुंडलिनी योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसका अभ्यास तीसरी आँख, अंतर्ज्ञान और मन के चक्र को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है।
हाकिनी मुद्रा कैसे करें how to do hakini mudra
how to practice hakini mudra
- सबसे पहले हाकिनी मुद्रा करने के लिए आप पद्मासन में बैठें।
- इसके बाद आप आंखों को बंद करें और ध्यान को दोनों आंखों के बीच में केंद्रित करें।
- अब आप दोनों ही हाथों की फिंगर टिप को आपस में मिलाएं।
- फिंगर टिप पर हल्का-सा दबाव डालें।
- इसके बाद गहरी और लंबी सांस लेना शुरू करें।
- मन में ओउम का उच्चारण करें।
- आप शुरुआत में 10 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं। इसके बाद 30 मिनट तक अभ्यास को बढ़ा सकते हैं।
कौन सी मुद्राएं आईक्यू बढ़ाती हैं?
हकीनी मुद्रा से इंटेलिजेंस और तर्कशक्ति में चमत्कारिक बढ़ोत्तरी होती है। कम से कम 40 दिन प्रयोग करें। इस हाकिनी मुद्रा से तीसरी आँख चक्र को उत्तेजित करके मन को शांत करने और ध्यान में सुधार करने में मदद करती है।
कौन सी मुद्रा आत्मविश्वास बढ़ाती है?
धीरे धीरे और गहरी साँसों के साथ प्राण मुद्रा का प्रयोग करने से पूरा मन शांत होकर एक साथ मन को फोकस कर देता है। जिससे घबराहट में कमी होती है आत्म विश्वास तेज़ी से बढ़ता है। यह मुद्रा, आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाने के अलावा, आपको अपने धर्म के अनुसार अपने भविष्य की कल्पना करने में भी मदद कर सकती है।
कौन सी मुद्रा शक्तिशाली ऊर्जा देती है?
सूर्य मुद्रा और प्राण मुद्रा दो योग हस्त मुद्राएँ हैं जो शक्तिशाली ऊर्जा देती हैं। माना जाता है कि सूर्य मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित करने में मदद करती है और इसका उपयोग अक्सर ऊर्जा, जीवन शक्ति बढ़ाने और वजन घटाने में मदद करने के लिए किया जाता है। दूसरी ओर, प्राण मुद्रा, छोटी उंगली की नोक को अंगूठे की नोक से छूकर बनाई जाती है जबकि अन्य उंगलियों को सीधा रखा जाता है; इसका उपयोग शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित करने के लिए किया जाता है और इसका उपयोग अक्सर ऊर्जा और जीवन शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है।
Hakini Mudra Pose
अच्छी मेमोरी के लिए कौन सा योग मुद्रा अच्छा है?
हकीनी मुद्रा वास्तव में एक ऐसी मुद्रा है जिसके बारे में माना जाता है कि इसका स्मृति और संज्ञानात्मक कार्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मुद्रा अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा उंगलियों के सिरों को एक साथ रखकर बनाई जाती है, जबकि अन्य उंगलियों को फैलाकर रखा जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि यह मस्तिष्क के उच्च केंद्रों के कार्यों को संतुलित करती है
, जिसमें स्मृति, एकाग्रता, सोच और निर्णय लेना शामिल है। यह मुद्रा मस्तिष्क के बाएं और दाएं गोलार्धों के बीच समन्वय को बढ़ावा देने और छठे चक्र को संतुलित करने के लिए भी माना जाता है, जिसे अजना चक्र भी कहा जाता है, जो भौंहों के बीच स्थित होता है और अंतर्ज्ञान, ज्ञान और धारणा से जुड़ा होता है।
जागरूकता और ध्यान एकाग्रता मुद्रा
हकीनी मुद्रा के अभ्यास का एक मुख्य कारण सांस, मन और विचारों के प्रति जागरूकता लाना है, बिना खुद के बारे में कोई निर्णय लिए। कोई भी व्यक्ति मन की किसी भी स्थिति में क्यों न हो, उसे बस स्वीकार करने की जरूरत है। मूल विचार बस होना और देखना है। छात्रों को सांस लेने की प्रक्रिया से जुड़े रहते हुए मन को कैसा महसूस होता है, इस बारे में अपनी जागरूकता लाना सिखाना इस अभ्यास की मूल विशेषता है। इसके अलावा, अधिक उन्नत अभ्यास में, छात्रों को रीढ़ के आधार – मूलाधार चक्र से अजना चक्र तक अपनी जागरूकता को चरण-दर-चरण तरीके से ले जाना सिखाया जा सकता है, ताकि इस अभ्यास से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। जब इस तरह की जागरूकता सिखाई जाती है, तो मन-शरीर-श्वास पूर्ण समन्वय में होते हैं, जिससे पूरे शरीर में संतुलन की भावना आती है। यह अंततः प्रभावित करता है कि व्यक्ति बाहरी दुनिया में कैसे व्यवहार करता है, बिना आसक्त हुए पूरी तरह से समर्पण करता है! इस अभ्यास से लाभ उठाने के लिए, सीधे बैठना (रीढ़ की हड्डी में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए, इसलिए सीधे बैठना बहुत महत्वपूर्ण है) और एक मजबूत लेकिन तनाव मुक्त मुद्रा बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
Hakini Mudra Benefits
बिमारियों के उपचार के लिए हाकिनी मुद्रा
यह मुद्रा उपचारात्मक है और तनाव, चिंता, अवसाद और मानसिक थकान पर काबू पाने में मदद करती है। यह एक खुश और सक्रिय दिमाग विकसित करने में मदद करती है। चिंता विकारों या किसी अन्य प्रकार के व्यवहार और भावनात्मक विकारों से संबंधित मानसिक बीमारी को हकीनी मुद्रा के अभ्यास से संबोधित किया जा सकता है, योग शिक्षक के पास छात्र की स्थितियों का पूरा इतिहास होने के बाद।
वरिष्ठ नागरिक वृद्ध भी इस मुद्रा के अभ्यास से अपनी याददाश्त में सुधार कर सकते हैं और मनोभ्रंश, भूलने की बीमारी और अल्जाइमर से लड़ सकते हैं
, बशर्ते योग शिक्षक को उनके स्वास्थ्य और शारीरिक स्थितियों की अच्छी और पूरी समझ हो।
हाकिनी मुद्रा के 10 चमत्कारिक लाभ
पहला लाभ: इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से ब्रेन को आराम मिलता स्ट्रेस कम होता है।
दूसरा लाभ: हाकिनी मुद्रा से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, बीपी नियंत्रण होती है और ब्रेन तक ऑक्सीजन पहुंचती है।
तीसरा लाभ: जिन भी लोगों को घबराहट या नर्वसनेस होती है, उन्हें हाकिनी मुद्रा का रोजाना अभ्यास करना चाहिए। मस्तिष्क के बाईं और दाईं भाग के बीच बैलेंस बनाने में सहायक।
चौथा लाभ: इस मुद्रा से भविष्य के बारे में आभास होना या व्यक्ति का इंट्यूशन पावर बेहतर होती है।
पांचवां लाभ: यह मुद्रा तनाव को कम करता है, यादाश्त बढ़ाता है और एकाग्रता में सुधार करता है। व्यक्ति को अच्छी व गहरी नींद आती है। बच्चों और किशोरों के योग में शामिल, यह स्मृति को बढ़ाने, स्पष्टता बढ़ाकर और रचनात्मकता विकसित करके शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार करने में मदद करता है।
छठवां लाभ: मार्सल आर्ट या गंभीर चोट करने के लिए प्रभावी है। यह मुद्रा सतर्कता, जिज्ञासा और रचनात्मकता जैसे गुणों को सक्रिय करती है।
सातवां लाभ: यह हाकिनी मुद्रा रक्तचाप और वात, पित्त, कफ जैसे दोषों को दूर करने में मदद करती है। गर्भवती महिलाएँ मन को शांत करने और अपने और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए सकारात्मक विचार प्रक्रिया बनाने के लिए इसका अभ्यास कर सकती हैं।
आठवां लाभ: विद्यार्थियों के लिए 5 – 5 मिनट का प्रयोग उनके मेमोरी और लेखन शक्ति को तीन गुना बढ़ा देती है। इसे प्रतिदिन करें।
नवां लाभ: लगभग 4 से 5 महीने के रेगुलर प्रयोग करने से आप व्यक्ति के व्यवहार और उसका माइंड रीडिंग आराम से कर पाएंगे।
दसवाँ लाभ: अनावश्यक विचारों की भिनभिनाहट कम होती है जिससे मन शांत होने लगता है। एकाग्रता बढ़ती है। यह मुद्रा इंट्यूशन पॉवर को बेहतर करता है।
सेक्रेट बात: कई मशहूर हस्तियां अपने इंटरव्यू के दौरान अपना डर कम करने के लिए करते हैं इस मुद्रा का इस्तेमाल। जब ऐसा इंटरव्यू हो तो आप उनके हाथ के रखरखाव पर ध्यान दें सकते है।
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