Mindfulness: सनातन धर्म और हिन्दू जीवन दर्शन का आधार
क्रेडिट – साधना जी (सत्यमेधा सत्संग)
द्वौ भूतसर्गौ लोकेस्मिन् दैव आसुर एव च।
विष्णुभक्तः स्मृतो दैव आसुरस्तद्विपक्ययः॥
~ पद्मपुराण
सनातन धर्म और हिन्दू जीवन दर्शन
अधर्म का आचरण हमेशा कष्टकारी है
श्री हरि का भजन करने वाले भक्तों को देवता कहा गया है तथा इसके विपरीत जो भक्तों तथा भगवान से द्वेष करने वालों को असुर कहा गया है।
जो लोग शास्त्रों के आदेशानुसार सांसारिक राग द्वेष से मुक्त होकर भक्ति का अनुष्ठान करते हैं, उन्हें देवता समझना चाहिए और जो लोग शास्त्रों का उल्लंघन कर प्राकृत राग द्वेष के आधीन होकर अधर्म का आचरण करते हैं, वे असुरों की श्रेणी में आते हैं।
आसुरी प्रकृति के लोग धर्म आचरण नहीं कर पाते
जो आसुरी हैं, वे यह नहीं जानते कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। उनमें न तो पवित्रता और न उचित आचरण और न ही सत्य पाया जाता है। प्रत्येक सभ्य मानव समाज में कुछ आचार संहिताएँ होती हैं। जिनका प्रारम्भ से ही पालन करना अति आवश्यक होता है; विशेषतया आर्यगण, जो वैदिक सभ्यता को मानते हैं और अत्यन्त सभ्य माने जाते हैं, धर्म का पालन करते हैं। किन्तु जो शास्त्रीय आदेशों को नहीं मानते, वे असुर प्रवृति के होते हैं। असुरगण न तो शास्त्रीय नियम को जानते हैं, न उनमें इनके पालन करने की प्रवृत्ति होती है। उन्हें न तो वैदिक आदेशों में कोई श्रद्धा होती है और न ही वे उसके अनुसार कार्य करने के इच्छुक होते हैं।
मनुष्य के कर्म कैसे हो ?
असुरगण न तो बाहर से न भीतर से स्वच्छ होते हैं। मनुष्य को चाहिये कि सुबह उठने के बाद स्नान करके, दंतमंजन करके, बाल बनाकर, वस्त्र बदल कर शरीर को स्वच्छ रखे। और जहाँ तक आन्तरिक स्वच्छता की बात है, मनुष्य को चाहिये कि वह सदैव भगवान श्री हरि के पवित्र नामों का स्मरण करे।असुरगण बाह्य तथा आन्तरिक स्वच्छता के इन नियमों को न तो मानते हैं न ही इनका पालन करते हैं। निर्णय आपके हाथ में है कि आप असुर बनना चाहते हैं अथवा भगवान के शरणागत होकर कृष्ण भक्त बनना चाहते हैं।
श्रीमद भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है:-
सर्वधर्मान् परित्यज्य, मामेकम् शरणम् व्रज।
अहं त्वां सर्व पापेभ्यो, मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥
अर्थात; भगवान श्री कृष्ण कह रहे हैं कि समस्त प्रकार के धर्मों का परित्याग करो और मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा, डरो मत, मुझ पर विश्वास रखो।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।
(लेखिका पारलौकिक विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान की विषेशज्ञ है। )