Kaliyuga: कलियुग में सिर्फ राम नाम जप से कैसे करें इच्छाएं पूरी
इम्पोर्टेन्ट पॉइन्ट
(How to fulfill Your Wishes in Kaliyug by Just Chanting Ram Naam and Ram Naam Mantra Benefits)
स्रोत – सत्यमेधा सत्संग
कलियुग में राम नाम का महत्व
रामचरितमानस में तुलसीदास जी कहते हैं कि हनुमान जी ने राम नाम का स्मरण करके प्रभु श्रीराम को अपने वश में कर रखा है. नीच अजामिल, गज और वेश्या भी श्रीहरि के नाम के प्रभाव से मुक्त हो गए. मैं राम नाम की बड़ाई कहां तक कहूं, राम भी नाम के गुणों को नहीं गा सकते.
कलियुग में राम का नाम उस कल्पतरु के समान है, जो मनचाहा पदार्थ देने में सक्ष्म है. राम नाम में मुक्ति का वास है, जिसका स्मरण करने मात्र से भांग सा निकृष्ट तुलसीदास तुलसी के समान पवित्र हो गया. केवल कलियुग में ही नहीं, चारों युगों, तीनों कालों और तीनों लोकों में नाम का जप करके जीव शोकरहित हुए हैं. सभी पुण्यों का फल राम नाम में ही है.
कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा’ का मतलब क्या है?
नाम से पापों का विनाश होता तो है , पर तभी जब व्यक्ति के हृदय में पिछले पापों के प्रति प्रायश्चित और उन्हें दोबारा न करने का संकल्प हो। नाम जप की औषधि के साथ परहेज भी आवश्यक है। नाम जपते रहो , क्रोध स्वत: दूर हो जाएगा। जप में बुरी प्रवृत्तियां पीछे हटती जाती हैं। उन्हें जबरन हटाने का प्रयास न करो , बस नाम जपो , प्रेम से।
कलियुग में राम का नाम उस कल्पतरु के समान है, जो मनचाहा पदार्थ देने में सक्ष्म है
नाम जप माया रूपी संसार से उबरने का अमोघ मंत्र है , किन्तु इसके लिए हृदय का योग भी होना चाहिए। ईश्वर को पुकारने के लिए जब दिल से आवाज उठती है , तभी उस तक पहुंचती है।
यह भी जानिए:
- कलयुग में केवल नाम ही सार है.
- सिर्फ़ नाम (मंत्र) जाप से ही जीव को मोक्ष प्राप्ति हो सकती है.
- जो सच्चे मन से भगवान का नाम जप लेता है, उसकी ज़िंदगी की नैया हर मझधार से निकलकर शांति से आगे बढ़ती है.
- नाम की महिमा हर युग में रही है.
- प्रह्लाद, शबरी, द्रौपदी, सुदामा, और तुलसीदास जैसे कई भक्तों ने नाम का सहारा लेकर अपना जीवन सफल कर लिया.
कलियुग में राम नाम की महिमा
इस कलयुग में भगवान का नाम ही आधार है | केवल नाम सुनने से , जपने से मानव भाव सागर से उतर जाता है |
नाम जप में किसी विधिविधान , देश , काल , अवस्था की कोई बाधा नहीं है।
किसी प्रकार से , कैसी भी अवस्था में , किसी भी परिस्थिति में , कहीं भी , कैसे भी नाम जप किया जा सकता है। इस नाम जप से हर युग में भक्तों का भला हुआ।
कलियुग में राम नाम का महत्व (Ram Naam Chanting Benefits)
तुलसीदास ने जन-मानस की हालत देखकर समझाया कि कलियुग में बेशक बहुत सी गड़बडि़याँ हैं , मगर उन सबसे बचने का उपाय जितनी सरलता से कलियुग में मिल सकता है , उतनी सरलता से किसी और काल में नहीं मिला। पहले प्रभु को पाने के लिए ध्यान करना पड़ता था। त्रेता में योग से प्रभु मिलते थे , द्वापर में कर्मकांड का मार्ग था। ये सभी मार्ग नितांत कठिन और घोर तपस्या के बाद ही फलीभूत होते हैं , पर कलियुग में ईश्वर को प्राप्त करना पहले के मुकाबले बड़ा ही सरल हो गया है।
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Ram Nam Jaap | Photo by Parakram Media
रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने बताया है कि राम नाम लेने से बड़ा कुछ भी नहीं है.
राम नाम लेने से बड़े से बड़ा पाप मिट जाता है. कलियुग में राम का नाम उस कल्पतरु के समान है,
जो मनचाहा पदार्थ देने में सक्ष्म है. उन्होंने कलियुग में ‘राम नाम’ और राम कथा की महिमा को बताया है.
राम नाम से पाएं सभी मनोवांछित फल (Ram Naam Mantra Benefits)
तुलसीदास जी बताया है कि सतयुग में ध्यान से, त्रेतायुग में यज्ञ से और द्वापर युग में पूजन से भगवान प्रसन्न होते हैं, लेकिन कलियुग केवल पाप की जड़ है, इसमें मनुष्यों का मन पाप से अलग होना ही नहीं चाहता है. ऐसे कलियुग में राम नाम ही कल्पवृक्ष है. जिसका स्मरण करते ही संसार के सब जंजालों का नाश हो जाने वाला है. कलियुग में राम नाम सभी मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है. इस नाम का जाप करने से परलोक में भगवान का परमधाम प्राप्त होता है और इस लोक में सभी प्रकार से पालन और रक्षा करता है.
कलियुग में न कर्म है, न भक्ति है और न ही ज्ञान है. राम नाम का ही एक आधार है.
कलियुग में रामनाम बुद्धिमान और समर्थ हनुमान जी हैं
. राम नाम श्रीनृसिंह भगवान है, कलियुग हिरण्यकशिपु है और राम नाम का जप करने वाले भक्त प्रह्लाद के समान हैं, यह राम नाम देवताओं के शत्रुओं यानी कलियुग के दुर्गुणों को दूर करके जाप करने वालों का रक्षा करने वाला है.
तुलसीदास जी बताते हैं कि आप अच्छे भाव से, बुरे भाव से, क्रोध से या आलस्य से, किसी भी प्रकार से राम नाम का जाप करते हैं तो 10 दिशाओं में कल्याण होता है.
Ram Katha Hearing Benefit:
रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने प्रभु श्रीराम के गुणों का बखान किया है, जिसमें वे मर्यादापुरूषोत्तम श्रीराम के बचपन से लेकर उनके राजा बनने तक की घटनाओं का सुंदर वर्णन किया है. तुलसीदास जी ने बताया है कि राम नाम लेने से बड़ा कुछ भी नहीं है. राम नाम लेने से बड़े से बड़ा पाप मिट जाता है. उन्होंने कलियुग में ‘राम नाम’ और राम कथा की महिमा को बताया है. राम नाम के जप से हनुमान जी प्रभु राम के सबसे बड़े भक्त हुए. हनुमान जी ने तो राम से बड़ा उनका नाम काशी नरेश से जुड़ी घटना से बता दी थी.
तुलसीदास जी कहते हैं कि कलियुग में रामकथा सुनने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है. राम कथा कलियुग में सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली कामधेनु गाय के समान है, वहीं यह सज्जन लोगों के लिए सुंदर संजीवनी जड़ी बुटी की तरह है. राम कथा धरती पर अृमत वाली नदी के समान है, जन्म और मरण के भय से मुक्ति देने वाली है. लोगों के मन के भ्रम को दूर करने में सक्ष्म है.
तुलसीदास जी आगे कहते हैं कि रामकथा असुरों की सेना के समान नरकों का नाश करने वाली और साधु समान देवताओं के कुल का हित करने वाली दुर्गा है. यह श्रीरसमुद्र रूपी संत समाज के लिए लक्ष्मी के समान है, वहीं पूरे विश्व का भार उठाने में पृथ्वी के समान है. राम कथा जीवों को मुक्ति देने के लिए काशी के समान ही है. यह प्रभु राम को तुलसी के समान प्रिय हे.
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