Shani Dev: शनि ग्रह ख़राब होने पर क्या होता है ? जानें यह चमत्कारिक उपाय
When Saturn is Inauspicious Know this Miraculous Remedy
आचार्य रौशन कुमार (सत्यमेधा एस्ट्रो रिसर्च दिल्ली)
सत्यमेधा एस्ट्रो रिसर्च में आप सभी दर्शको और पाठकों का हार्दिक स्वागत है। आज हम ब्रह्माण्डीय सौर मंडल के न्यायाधीश, न्याय प्रिय और कर्मफलदाता ग्रह शनि देव की बात करेंगे। डिवाइन साइंस वैदिक ज्योतिष में शनि और गुरु ग्रह का विशेष स्थान होता है। क्योकि दोनों ही ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है। शनि ग्रह सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं। कालपुरुष की कुंडली (मेष) में शनि दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी होते हैं। दसवां भाव यानी कर्म का भाव और ग्यारहवां भाव आय और लाभ का भाव होता है। वहीं शनि कुंडली के 6, 8 और 11 भाव के स्वामी ग्रह होते हैं। शनि को दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है।
जातक के कुण्डली में यदि शनि अच्छा हो तो जातक कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय और लोकप्रिय होता है। शनि के कृपा से जातक अपने कार्यक्षेत्र में सफलता की प्राप्ति करता है। जातक धीर व गंभीर हो जाता है।
कुंभ और मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं। शनि तुला राशि में उच्च के होते हैं जब मेष राशि में नीच के होते हैं। शनि को तीन दृष्टियां प्राप्त है। तीसरी, सातवीं और दसवीं दृष्टि। शनि के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में साढ़ेसाती और ढैय्या का सामना करना पड़ता है। शनि को न्यायाधीश, कर्मफलदाता और क्रूर ग्रह माना जाता है। यह व्यक्ति को उनके अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। जातकों की कुंडली में शनि किस स्थान पर बैठे हैं यह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
तुला राशि में शनि को उच्च का माना जाता है। यहां शनि उच्च का होने का अर्थ है बलवान होना। यह जातकों को मेहनती, मेहनती और न्यायप्रिय बनाता है। साथ ही इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के सभी 12 घरों का विशेष महत्व होता है और ये 12 घर जीवन के किसी न किसी स्थिति को दर्शाते हैं। कुंडली के दूसरे घर को लाभ स्थान, नवें घर को भाग्य का स्थान और दसवें भाव को कर्म यानी करियर का स्थान माना जाता है। आज हम आपको यह बताएंगे कुंडली में शनि की स्थिति शुभ भाव में न होने पर शनि किन जातकों के ऊपर अपना कहर बरपाते हैं।
हमारे जीवन में शनि ग्रह का प्रभाव
हरेक शनिवार या मंगलवार को आपने देखा होगा की सभी मंदिर पर भक्तो का मेला लगा रहता है। उसका एक मात्र कारण है जीवन में कष्ट और कर्मो का फल। ज्योतिष में शनि एक ऐसे ग्रह हैं, जिनसे सभी भयभीत रहते हैं। जीवन की तमाम परेशानियों के लिए शनि को ही जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जहां शनि किसी के जीवन में अच्छे परिणाम और सकारात्मक परिणाम ला सकते हैं। शनि के प्रभाव से व्यक्ति धीरे-धीरे तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता है और शीर्ष तक पहुंच जाता है। कुंडली के कुछ घरों या भावों में शनि का होना वास्तव में जातक के लिए बहुत लाभदायक होता है। आप अपनी कुंडली में शनि के स्थान को देखकर समझ सकते हैं कि आपको शनि के गोचर या महादशा में किस तरह से फल मिलेंगे।
- शनि अनुशासन प्रिय ग्रह है। कर्मो के फल में देरी कर सकता है लेकिन अन्याय नहीं। जिसके कुण्डली में शनि ग्रह अच्छे है उनके जीवन में लाभ ही लाभ और ऐश्वर्य पूर्ण होता है।
शनि ग्रह का सार क्या है ?
शनि तुला राशि में उच्च के होते हैं जब मेष राशि में नीच के होते हैं। शनि को तीन दृष्टियां प्राप्त है। तीसरी, सातवीं और दसवीं दृष्टि। शनि के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में साढ़ेसाती और ढैय्या का सामना करना पड़ता है। शनि को न्यायाधीश, कर्मफलदाता और क्रूर ग्रह माना जाता है।
शनि ग्रह खराब होने पर क्या होता है? shani grah kharab hone per kya hota hai
आईये अब यह जानते है की जातक की कुंडली में शनि दोष होने पर क्या होता ? समय से पहले ही व्यक्ति के बाल झड़ने लगते हैं, आंख खराब होने लगती है, कान में दर्द रहता है। शनि खराब होने से शारीरिक कमजोरी, पेट दर्द, टीबी, कैंसर, चर्म रोग, फ्रैक्चर, पैरालाइसिस, सर्दी-जुकाम, अस्थमा आदि जैसे रोग हो जाते हैं। यदि किसी का शनि खराब है तो उसे मेहनत का फल नहीं मिलता है।
कैसे जानें की शनि मजबूत है या कमजोर ?
सत्यमेधा एस्ट्रो रिसर्च ने हज़ारों कुण्डलियों पर शोध किया तो कुछ तथ्य सामने आएं जिससे आप पता है की आपके जीवन में शनि की क्या स्थिति है।
- जितना आप ईमानदार होते जायेंगे उतना ही बदनाम भी खासकर छोटे लोग आपकी टांग ज्यादा खीचेंगे। हलाकि आपका नुक्सान कुछ नहीं होगा।
- जब आप अधिकतर अलग और उदास महसूस करते हैं तो समझें आपकी कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में है।
- आपके व्यवहार में कुछ ज्यादा ही जिदद्पन दिखेगा यानी आप जिद्दी स्वाभाव के ज्यादा होंगे।
- अगर आपको लगातार आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है तो समझें आपकी कुंडली में शनि कमजोर है।
- कड़ी मेहनत करने के बाद भी आपको सफलता नहीं मिल रही है तो इसका कारण शनि की कमजोर स्थिति हो सकती है।
- जब जातक की कुंडली में शनि कमजोर होता है तो व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
- अगर जन्मपत्री में शनि देव नकारात्मक और अशुभ हों तो व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है और वह जीवन भर संघर्ष से घिरा रहता है।
- जन्मपत्री में शनि देव नकारात्मक और अशुभ हों तो व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है और वह जीवन भर संघर्ष से घिरा रहता है।
शनि देव के प्रकोप का मुख्य कारण
सही मायने में देखा जाय तो हमारे कर्म ही शनि देव के प्रसन्नता और प्रकोप का कारण होता है।
शनि देव आदमी के कर्मो का निर्णायक ग्रह है। सेक्स क्रोध लोभ मोह से जब भी हमारे कर्म दूषित होते है तब शनि के नकारात्मक ऊर्जा का प्रकोप हमें झेलना ही होता है। अपना आत्म अवलोकन अवश्य करें
वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह मजबूत है तो व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। तुला राशि में शनि को उच्च का माना जाता है। यहां शनि उच्च का होने का अर्थ है बलवान होना। यह जातकों को मेहनती, मेहनती और न्यायप्रिय बनाता है। साथ ही इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। यह व्यक्ति को धैर्यवान भी बनाता है। यदि कुंडली में शनि देव उच्च या लग्न में हों तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है और उसकी आयु पूर्ण होती है। क्योंकि शनिदेव को आयु प्रदाता भी कहा जाता है।
शनि दोष के लक्षण क्या है? shani grah kharab hone ke lakshan
- शनि का दोष या प्रकोप जन्मजात भी होता है और समय समय पर ढैया या साढ़ेसाती के रूप में भी जीवन में उथलपुथल करता रहता है।
- शनि ग्रह दोष होने पर व्यक्ति जरूरत से ज्यादा आलसी और चालाक होता है।
- हमेशा चोरी में मन लगना, जुआ खेलना और सट्टे लगाना।
- कम उम्र में बाल अत्यधिक झड़ना।
- कोई सही डिसीजन नहीं ले पाना यानी मस्तिष्क में सदैव द्वन्द रहना।
- अपने से बड़े-बुजुर्गों का अपमान करना खासकर अपनी माँ या दादा का।
- भूत पिसाच या ऊपरी बाधा में घिरे रहना और सर में अधिक दर्द रहना।
- कमजोर पर्सनालिटी होना और समय से पहले आंखें कमजोर होना।
- नास्तिक होना या भगवान का हर बात में मजाक बनाना
- ज्यादा गुस्सा या पागलपन की शिकायत होना।
- डिप्रेशन और जीवन से हारा हुआ समझ कर आत्महत्या सुसाइड करना।
(ध्यान दें – सत्यमेधा एस्ट्रो संस्था में जातक के कुंडली और फेस रीडिंग हस्त रेखा का गहरा विश्लेषण करके सही और सटीक प्रभावी उपाय दिया जाता है जिससे जातक अपने जीवन का मूल्य समझ कर जीवन को सुख शांति और ऐश्वर्य से जी सके । संपर्क करें )
शनि को तुरंत खुश करने के उपाय
जो लोग शनि ग्रह के प्रकोप से ज्यादा पीड़ित उन्हें किसी भी योग्य और अनुभवी ज्योतिष आचार्य या ऑकल्ट साइंस के जानकार से सम्पर्क करना चाहिए। किसी भी रेमेडी का प्रयोग करने से पहले जांच पड़ताल जरूर कर लें। कुछ लोगो का ऐसा भी प्रश्न होता है की शनि को खुश करने के लिए क्या करें। ऐसे में आपके सत्यमेधा एस्ट्रो रिसर्च के अनुभवी एस्ट्रोलॉजर आचार्य से संपर्क कर सकते है।
शनि को बलवान बनाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर सरसों का तेल का दीप जरूर जलाएं। ऐसा करने से शनि कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है।
शनि को बलवान कैसे बनाएं?
कुंडली में शनि को मजबूत बनाने के लिए शनिवार के दिन काले रंग की चीजों का दान करें। जैसे कि काले चने, काली उड़द, काले रंग के कपड़े, काले तिल, लोहे के बर्तन और काला कंबल। शनि को बलवान बनाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर सरसों का तेल का दीप जरूर जलाएं। ऐसा करने से शनि कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है।
शनि ग्रह को मजबूत करने के चमत्कारिक उपाय
Shani Upay
- सबसे पहले अपने दिन की रूटीन ठीक करें। जिनसे भी समस्या है या जो भी समस्या है उसको हल करने के लिए तैयार होईये। भागिए नहीं।
- ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार शनि अमावस्या पर पीपल की जड़ में कच्चा दूध मिश्रित मीठा जल चढ़ाने, तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के चलते पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। वहीं सुख-शांति में वृद्धि के लिए इस दिन पीपल का वृक्ष रोपना बहुत अच्छा माना गया है।
- प्रतिदिन स्वच्छ हवा में कम से कम 25 मिनट तक दौड़े या दोनों हाथ ऊपर करके 18 से २० कदम चले। 15 दिन के बाद चमत्कारिक लाभ होगा। जीवन के प्रति आपका दृश्टिकोण बदलेगा।
- हर शनिवार के दिन एक लोहे के कटोरे में साबुत उड़द, काले चने और सरसों का तेल मिलाकर एक साथ डाल दें। अब इसे काले कपड़े में लपेटकर अपने माथे से लगाकर इसे दान देना शुरू करें, इससे शनि दोष कम होता है।
- शनिवार के दिन शनिदेव के दिव्य मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का इस दिन जप करने से प्राणी भयमुक्त रहता है।
- शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। शनि दोष की शांति के लिए शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के साथ-साथ शिवजी पर काले तिल मिले हुए जल से ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
- शनिदेव की प्रसन्नता के लिए जातक को शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए एवं गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए,ऐसा करने से जीवन में आए संकट दूर होने लगते हैं।
- शनिदेव, हनुमानजी की पूजा करने वालों से सदैव प्रसन्न रहते हैं,इसलिए इनकी कृपा पाने के लिए शनि पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए,शनिदोष से मुक्ति मिलती है।