Makar Sankranti 2025 धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व जानिए क्यों करना चाहिए इस दिन जप दान पुण्य
Religious and Scientific Importance of Hindu Festival Makar Sankranti 2025
स्रोत – सत्यमेधा एस्ट्रो रिसर्च टीम
मकर संक्रांति केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक घटना भी है। इस त्योहार के पीछे कई वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं। मकर संक्रांति हमें प्रकृति के नियमों और उनके महत्व के बारे में बताती है। हिंदू धर्म के अनुसार मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। भारतीय संस्कृति विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार हमें प्रकृति के चक्र और नव ग्रहों के राजा सूर्य देव के महत्व के बारे में याद दिलाता है। यह पर्व सूर्य देवता को समर्पित है क्योकि इसी दिन उत्तरायण का प्रारंभ भी माना जाता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं जिससे शरद ऋतु में धीरे धीरे परिवर्तन होने लगता है। मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे कि पोंगल, मकर सक्रांति, बिहू आदि।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है जानिए वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति मनाने के वैज्ञानिक कारण
नई शुरुआत का प्रतीक: मकर संक्रांति नई शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग पुराने कर्मों का त्याग कर नए सिरे से जीवन शुरू करने का संकल्प लेते हैं।
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: मकर संक्रांति के दिन तिल के लड्डू खाने की परंपरा है। तिल में कई पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
समाजिक एकता: मकर संक्रांति के दिन लोग एक साथ मिलकर खाना बनाते हैं और खाते हैं। इससे सामाजिक एकता बढ़ती है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व
Makar Sankranti 2025 धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना:
मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगता है। इसका मतलब है कि सूर्य धीरे-धीरे उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है।
इस बदलाव के कारण दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी। यह बदलाव पृथ्वी के अक्ष के झुकाव के कारण होता है।
ऋतु परिवर्तन: सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही ऋतुओं में बदलाव होता है। सर्दी का मौसम खत्म होकर गर्मी का मौसम शुरू होता है। इस बदलाव के कारण वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कृषि का महत्व: भारत एक कृषि प्रधान देश है। मकर संक्रांति के दिन किसान नई फसल का स्वागत करते हैं। इस दिन कटाई का काम पूरा हो जाता है और खेतों में नई फसल बोई जाती है।
प्रकृति का संतुलन: मकर संक्रांति के दिन प्रकृति का संतुलन बना रहता है। सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति इस तरह होती है कि प्रकृति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मकर संक्रांति 2025 तारीख makar sankranti 2025 kab hai
वैदिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस नए साल 2025 में सूर्य देव मकर राशि में 14 जनवरी दिन मंगलवार सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
सूर्य गोचर होने की वजह से मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। अधिकतर वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाते हैं, लेकिन कभी-कभी सूर्य की मकर संक्रांति 15 जनवरी को होती है तो उस दिन भी मकर संक्रांति मनाई जाती है।
मकर संक्रांति 2025 पुण्य काल makar sankranti 2025 date and time
14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल की कुल अवधि 8 घंटे 42 मिनट तक है।
यह पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक है। पुरे भारत में रहेगा।
मकर संक्रांति 2025 महा पुण्य काल कब है ?
मकर संक्रांति के दिन 1 घंटा 45 मिनट का महा पुण्य काल है. मकर संक्रांति को महा पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है। इस दिन जप गंगा स्नान और दान का अधिक महत्व है।
मकर संक्रांति 2025 स्नान-दान मुहूर्त ?
14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से लेकर सुबह 10:48 बजे तक महा पुण्य काल में उत्तम रहेगा. हालांकि आप पुण्य काल में भी मकर संक्रांति का स्नान और दान कर सकते हैं
मकर संक्रांति पर क्या दान करें ?
मकर संक्रांति के दिन काले तिल, गुड़, खिचड़ी, चावल-दाल, गर्म वस्त्र आदि का दान करना शुभ फलदायी होता है. खिचड़ी: मकर संक्रांति पर खिचड़ी का दान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. खिचड़ी में चावल, उड़द की दाल, और हरी सब्ज़ियां होती हैं, जो शनि, बुध, सूर्य, और चंद्रमा से जुड़ी हुई हैं नमक का दान करने से अनिष्टों का नाश होता है.
Makar Sankranti 2025 को इस तरह दें सूर्य को अर्घ्य
मकर संक्रांति के दिन मुहूर्त के अनुसार स्नान के बाद काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत मिश्रित जल से सूर्य को नमस्कार कर जल अर्पित करें। साथ ही सूर्य देव के मंत्र ओम घृणि सूर्याय नमः या ओम आदित्याय नमः का 1 माला पूर्व की ओर मुँह करके जाप करें।
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?
मकर संक्रांति मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण ये है कि इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं, जिससे ऋतु परिवर्तन शुरू हो जाता है. इस बार भगवान भास्कर 15 जनवरी की भोर में मकर राशि में करवट लेंगे. ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा. मकर संक्रांति को मनाने के वैज्ञानिक यह भी है कि इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं ऋतु में परिवर्तन शुरू हो जाता है।
मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है?
Makar Sankranti Puja Vidhi (मकर संक्रांति पूजा विधि)
मकर संक्रांति के दिन सुबह स्नान करें और सूर्य देवता का दर्शन करें।
उसके बाद सूर्य देवता जल में काले तिल डालकर जल अर्पित करें।
फिर सूर्य देवता के मंत्रों का जाप करें और चालीसा का पाठ करें।
स्नान पूजा के दान इस दिन काले तिल और मूंग दाल का दान करें।
इसके साथ ही इस दिन क्षमतानुसार गर्म वस्त्रों का दान जरूर करें।
मकर संक्रांति मनाने के ये कुछ कारण है
इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है.
ठंड की वजह से सिकुड़ते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है.
मकर संक्रांति के बाद दिन लंबे और रात छोटी होने लगती हैं.
मकर संक्रांति से जुड़ी कुछ और बातें
Makar Sankranti 2025 धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है.
यह सूर्य देव को समर्पित है.
मकर संक्रांति के दिन स्नान दान और भगवान सूर्य की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाई जाती है.
उत्तर भारत में लोग इस पर्व को खिचड़ी, महाराष्ट्र में ताल गुल, दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से मनाते है.
शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है.
मकर संक्रांति का महत्व क्यों है?
खगोल विज्ञान के अनुसार
पुरे साल में सूर्य 11 राशियों का भ्रमण करके जब मकर राशि में प्रवेश करते है तब प्रकृति में बहुत बड़ा परिवर्तन शुरू होता है।
इसी दिन सूर्य उत्तरायण होते है: इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी। इसे शुभ माना जाता है।
इस दिन सूर्य देव की पूजा: इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि सूर्य देव इस दिन विशेष रूप से कृपा बरसाते हैं।
इस दिन दान का बहुत महत्व है: इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। विशेषकर तिल, गुड़ और दान का दान करना बहुत फलदायी माना जाता है।
इस दिन पवित्र स्नान: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है।
नए साल का प्रारंभ: कई क्षेत्रों में मकर संक्रांति को नए साल के रूप में भी मनाया जाता है।
कुछ पौराणिक महत्व: मकर संक्रांति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। जैसे कि भगीरथ ने इसी दिन गंगा को धरती पर लाया था।
मकर संक्रांति का महत्व
खुशहाली और समृद्धि: इस दिन को नए साल की शुरुआत के रूप में भी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
ऋतु परिवर्तन: मकर संक्रांति के साथ ही सर्दी का मौसम समाप्त होकर बसंत ऋतु का आगमन होता है।
कृषि का त्योहार: किसानों के लिए यह त्योहार विशेष महत्व रखता है, क्योंकि फसलें पककर तैयार हो जाती हैं।
धार्मिक महत्व: कई धर्मों में इस दिन को पवित्र माना जाता है और विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?
तिल के लड्डू: इस दिन तिल के लड्डू बनाकर खाना बहुत शुभ माना जाता है।
दान: इस दिन गरीबों को दान करना बहुत पुण्य का काम माना जाता है।
नदियों में स्नान: कई लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
पतंगबाजी: गुजरात में इस त्योहार के दौरान पतंगबाजी का विशेष महत्व है।
मंदिरों में पूजा: मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
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