सावधान! अगर आप भी बच्चें को थमा देते है मोबाइल तो जान लीजिए इसके गंभीर नुकसान
Mobile screen time is the reason for sleep and behavioral problems in children
सत्यमेधा वेलनेस रिसर्च टीम
आज के हाई टेक ज़माने में मोबाइल-कंप्यूटर और टेलीविजन जैसे स्क्रीन्स से हम सभी दिनभर किसी न किसी तरह से घिरे ही रहते हैं। कोरोना महामारी के बाद यह स्थिति और ख़राब हो गयी है। बच्चों से लेकर बुढ़ों तक मोबाइल की यह बीमारी महामारी की तरह लग गयी है। हर कोई मोबाइल से चिपका रहता है। पर क्या आप जानते हैं कि स्क्रीन पर बढ़ता आपका ये समय सेहत को कई प्रकार से गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है? कई अध्ययन इसको लेकर गंभीर चिंता जताते रहे हैं कि बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है। ज्यादा से बच्चों में बढ़ते स्क्रीन टाइम को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। ये स्क्रीन हमारे बच्चों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं। वे इस मोबाइल इनका इस्तेमाल पढ़ाई करने, काम करने के लिए, मनोरंजन के लिए और संवाद करने के लिए करते हैं।
कभी कभी हम बच्चों के जिद्द की वजह से उनको मोबाइल थमा देते है। अगर रो रहा है तो मोबाइल दे दो, बच्चा खाना नहीं खा रहा तो मोबाइल थमा दो। बच्चे को किसी तरह काम मनवाना है तो मोबाइल थमा दो, यह आज के माँ बाप की आदत हो गयी है। अगर आप भी अपने बच्चे को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल थमा देते हैं तो सावधान हो जाइए। जाने-अनजाने में आपकी ये एक आदत बच्चे की मानसिक औरशारीरिक सेहत को तबाह कर सकती है।
अर्ली चाइल्ड डेवलपमेंट एंड केयर रिसर्च में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि बच्चों को स्वस्थ रखने और भविष्य में उन्हें कई प्रकार की गंभीर समस्याओं से बचाने के लिए स्क्रीन टाइम को कम करना सबसे जरूरी हो गया है।
एक अलग नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जो माता-पिता अपने बच्चे को बिजी रखने के लिए “डिजिटल डमी” का उपयोग करते हैं, उन बच्चों में समय के साथ मानसिक और शारीरिक बीमारियों का खतरा अन्य बच्चों की तुलना में काफी अधिक हो सकता है। वे बच्चें सोचने समझने और निर्णय लेने की क्षमता खो देते है। प्री स्कूलिंग के पढ़ाई में अच्छे मार्क्स नहीं आते। अत्यधिक स्क्रीन टाइम प्रीस्कूल बच्चों के दिमाग को उत्तेजित अवस्था में ले आता है जिससे नींद की गुणवत्ता और इसकी अवधि दोनों खराब हो सकती है।
अध्ययन में क्या पता चला?
बच्चों की सेहत पर बढ़े हुए स्क्रीनटाइम के दुष्प्रभावों को जानने के लिए कनाडा और चीन के वैज्ञानिकों ने विस्तृत शोध किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि स्क्रीनटाइम बढ़ने के कारण नींद तो प्रभावित होती ही है साथ ही इसके कारण दीर्घकालिक तौर पर हाइपरएक्टिव अटेंशन प्रॉब्लम यानी एकाग्रता बनाए रखने में दिक्कत, संज्ञानात्मक समस्याओं के बढ़ने की दिक्कत देखी गई है।
स्क्रीनटाइम का बढ़ना बच्चों के सोचने, समझने और समस्याओं को हल करने की क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। नतीजतन किसी काम पर बच्चों का ध्यान लंबे समय तक केंद्रित नहीं रह पाता।
ज्यादा स्क्रीन टाइम से ये है खतरनाक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
आंखों की समस्याएं:
बिना ब्रेक लिए लगातार लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों में सूजन, जलन, लो अटेंशन, ड्राई आई, और दृष्टि कमजोर होने जैसी समस्याएं हो जाती है।
कमर और गर्दन में दर्द:
लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठकर काम करने से कमर और गर्दन में दर्द हो सकता है।
नींद की समस्याएं:
ब्लू रे की वजह से सोने से पहले स्क्रीन देखने से नींद न आना या नींद खराब होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
भोंदूपन और मोटापा:
ज्यादा स्क्रीन के सामने बैठकर बच्चे शारीरिक रूप से कम सक्रिय हो जाते हैं, जिससे मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। अधिकतर बच्चे मोटे इसीलिए होते है।
घातक सिरदर्द:
स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी ब्लू रे सिरदर्द का कारण बन सकती है।
मोबाइल के ज्यादा उपयोग से मानसिक खतरनाक समस्याएं
कमजोर दिमाग:
ज्यादा मोबाइल का उपयोग करने से सोचने समझने की क्षमता कमजोर हो जाती है। बच्चो को सही निर्णय लेने में दिक्कत होती है। बच्चे में भोंदूपन जयादा दिखता है।
तनाव और चिंता:
बच्चो को अधिकतर मोबाइल गेम और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लगातार रहने से तनाव और चिंता बढ़ सकती है। इससे बच्चे चिड़चिड़े स्वाभाव के हो जाते है।
अकेलापन:
ऑनलाइन दुनिया में खो जाने से वास्तविक जीवन में लोगों से जुड़ाव कम हो सकता है।
क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के विशेषज्ञ 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए दिन में एक घंटे से अधिक स्क्रीनटाइम को हानिकारक बताया है। विशेषज्ञों ने कहा बढ़ा हुआ स्क्रीनटाइम बच्चों में अवसाद और चिंता की समस्या को भी बढ़ाता जा रहा है। सभी माता-पिता को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे का स्क्रीन पर समय कम से कम बीते।
बच्चों में स्क्रीन टाइम मोबाइल की लत की समस्याओं से बचने के उपाय:
प्रेम और स्नेह :
बच्चे को बड़े प्रेम और स्नेह से समझाएं। एकाएक मोबाइल से दूर रहने के लिए मत कहे। धीरे धीरे समझाएं और बच्चे के पास अपना समय बिताएं।
नसीहत नहीं बल्कि खुद का उदाहरण देवें: माता पिता या परिवार के लोग बच्चें को उसके सामने कम से कम मोबाइल इस्तेमाल करें। यह देख कर बच्चा आप से सीखेगा। फिर आपको कहना नहीं पड़ेगा कि बेटा मोबाइल का यूज़ ज्यादा मत करो।
स्क्रीन टाइम कम करें:
कोशिश करें कि आप दिन में कम से कम कुछ घंटे स्क्रीन से दूर रहें।
आंखों का ख्याल रखें:
20-20-20 नियम का पालन करें। हर 20 मिनट में 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें।
अच्छी रोशनी में काम करें:
कम रोशनी में स्क्रीन देखने से आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
शारीरिक गतिविधियां करें:
नियमित रूप से व्यायाम करने से आप स्वस्थ रहेंगे और तनाव कम होगा।
सोने से पहले स्क्रीन का इस्तेमाल न करें:
सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर दें। स्क्रीन टाइम कम करने के लिए माता-पिता बच्चों के साथ गुणवत्ता समय बिताएं और उन्हें आउटडोर गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें। भविष्य को स्वस्थ बनाने के लिए ये प्रयास मौजूदा समय की जरूरत हैं।
स्क्रीन टाइम कम करने के लिए माता-पिता बच्चों के साथ गुणवत्ता समय बिताएं और उन्हें आउटडोर गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें। भविष्य को स्वस्थ बनाने के लिए ये प्रयास मौजूदा समय की जरूरत हैं