Kundali Me Vish Yog: जिंदगी को जहर बना देता है जन्म कुंडली में मौजूद विष योग
आचार्य रोहित शुक्ला, बनारस
यह बिल्कुल सही है कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में विष योग का होना व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है। और अगर सही समय पर सही उपाय ना किया जाय तो जीवन की नकारात्मकता जीवन को ले डूबता है।
ज्योतिष शास्त्र में अनेक योगों का वर्णन मिलता है। ये योग दो या दो से अधिक ग्रहों के आपस में संबंध से बनते हैं। यदि शुभ ग्रहों की युति हो तो शुभ योग का निर्माण होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति का जीवन सुखों से भर जाता है। लेकिन यदि अशुभ ग्रहों के कारण योग बन रहा है, तो व्यक्ति का जीवन नर्क के समान हो जाता है। ऐसा ही एक अशुभ योग है ‘विष योग”। जन्म कुंडली में विष योग का निर्माण शनि और चंद्रमा की युति से होता है। यह योग जातक के लिए बेहद कष्टकारी माना जाता है। नवग्रहों में शनि को सबसे मंद गति के लिए जाना जाता है और चंद्र अपनी तीव्रता के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन शनि अधिक पॉवरफुल होने के कारण चंद्र को दबाता है। इस तरह यदि
किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के किसी स्थान में शनि और चंद्र साथ में आ जाए तो विष योग बन जाता है।
इसका दुष्प्रभाव तब अधिक होता है जब आपस में इन ग्रहों की दशा-अंतर्दशा चल रही हो। विष योग के प्रभाव से व्यक्ति जीवनभर अशक्तता में रहता है। मानसिक रोगों, भ्रम, भय, अनेक प्रकार के रोगों और दुखी दांपत्य जीवन से जूझता रहता है। यह योग कुंडली के जिस भाव में होता है उसके अनुसार अशुभ फल जातक को मिलते हैं।
विष योग क्या है?
विष योग, जन्म कुंडली में एक ऐसा योग है जो चंद्रमा और शनि ग्रह के विशेष प्रकार से जुड़ने पर बनता है। ये
दोनों ग्रह अपने आप में ही काफी प्रभावशाली होते हैं, और जब ये एक-दूसरे के साथ किसी विशेष कोण पर आते हैं तो विष योग का निर्माण होता है।
चंद्रमा: मन, भावनाएं और घर को दर्शाता है।
शनि: कर्म, बाधाएं और देरी को दर्शाता है।
जब ये दोनों ग्रह एक साथ आते हैं तो व्यक्ति के मन में अशांति, निराशा और जीवन में अनेक प्रकार की बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
विष योग के प्रभाव vish yog ke prabhav
विष योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ सकता है, जैसे कि:
मानसिक स्वास्थ्य: चिंता, अवसाद, अकेलापन और निराशा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
वैवाहिक जीवन: वैवाहिक जीवन में कलह, अविश्वास और तनाव हो सकता है।
स्वास्थ्य: शारीरिक स्वास्थ्य में भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि पाचन संबंधी समस्याएं, नींद न आना आदि।
करियर: करियर में बाधाएं, असफलता और आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं।
विष योग के फायदे
हालांकि दर्जनों समस्यों के बाद भी इस विष योग के कुछ फायदे भी है जैसे, इस योग के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं:
अथक परिश्रम और भगवन पर श्रद्धा बढ़ने लगता है।
विष योग में व्यक्ति न्यायप्रिय, मेहनती, और ईमानदार होता है।
इस योग से व्यक्ति में वैराग्य भाव आता है।
विष योग शांति उपाय विष योग के उपाय लाल किताब
- वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में विष योग होने पर बड़े श्रद्धा से इन उपायों को करने से शांति मिलती है:
- शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का 40 दिन तक लगातार सुबह शाम पाठ करें।
- शनिवार को काली गाय का दूध कुएं में अर्पण करें।
- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे नारियल फोड़ें और उसे प्रसाद के रूप में बांट दें.
- शनिवार के दिन सरसों के तेल में काली उड़द और काला तिल डालकर दीपक जलाएं.
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- चना उबालकर प्रसाद के तौर पर गरीबों में बाटे।
- शनिवार को पीपल के पेड़ पर तेल और काली उड़द चढ़ाएं और ऊँ शनिश्चराय नमः का जाप करें.
किस भाव में विष योग का क्या प्रभाव होता है ?
यदि किसी जातक के लग्न स्थान में शनि-चंद्र का विष योग बन रहा हो, तो ऐसा व्यक्ति शारीरिक तौर पर बेहद अक्षम रहता है। उसे पूरा जीवन तंगहाली में गुजारना पड़ता है। लग्न में शनि-चंद्र होने पर उसका प्रभाव सीधे तौर पर सप्तम भाव पर भी होता है। इससे दांपत्य जीवन दुखपूर्ण हो जाता है।
लग्न स्थान शरीर का भी प्रतिनिधित्व करता है इसलिए व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर और रोगों से घिरा रहता है।
दूसरे भाव में शनि-चंद्र की युति होने पर जातक जीवनभर धन के अभाव से जूझता रहता है।
तीसरे भाव में बना विष योग व्यक्ति का पराक्रम कमजोर कर देता है और वह अपने भाई-बहनों से कष्ट पाता है।
चौथे भाव सुख स्थान में शनि-चंद्र की युति होने पर सुखों में कमी आती है और मातृ सुख नहीं मिल पाता है।
पांचवें भाव में यह दुर्योग होने पर संतान सुख नहीं मिलता और व्यक्ति की विवेकशीलता समाप्त होती है।
छठे भाव में विष योग बना हुआ है तो व्यक्ति के अनेक शत्रु होते हैं और जीवनभर कर्ज में डूबा रहता है।
सातवें स्थान में होने पर पति-पत्नी में तलाक होने की नौबत तक आ जाती है।
आठवें भाव में बना विष योग व्यक्ति को मृत्यु तुल्य कष्ट देता है। दुर्घटनाएं बहुत होती हैं।
नौवें भाव में विष योग व्यक्ति को भाग्यहीन बनाता है। ऐसा व्यक्ति नास्तिक होता है।
दसवें स्थान में शनि-चंद्र की युति होने पर व्यक्ति के पद-प्रतिष्ठा में कमी आती है। पिता से विवाद रहता है।
ग्यारहवें भाव में विष योग व्यक्ति के बार-बार एक्सीडेंट करवाता है। आय के साधन न्यूनतम होते हैं।
बारहवें भाव में यह योग है तो आय से अधिक खर्च होता है।
गोचर चक्र में हर महीने कम से कम एक बार विष योग जरूर बनता है। क्योंकि चंद्रमा गोचर करते हुए महीने में एक बार शनि के साथ जरूर आता है। उस समय वह जिस स्थान में शनि के साथ युति करता है, उसके अनुसार व्यक्ति को कष्ट मिलता है।
विष योग से बचने के सटीक और प्रभावी उपाय क्या है ?
हालांकि विष योग का प्रभाव बहुत गंभीर हो सकता है, लेकिन इसके प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:
ज्योतिषीय उपाय: ज्योतिषी से सलाह लेकर उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि मंत्र जाप, पूजा-पाठ, दान आदि।
धार्मिक कार्य: नियमित रूप से मंदिर जाना, भगवान की पूजा करना और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना।
योग और ध्यान: योग और ध्यान करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच रखने से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
विष योग के उपाय vish yog ke upay
जातक के कुंडली विष योग है या नहीं पहले इसका पता किसी अच्छे ज्योतिषी से करा लें। और अगर जीवन की परेशानिया रुकने का नाम नहीं ले रही है तब इसके उपाय करने आवश्यक होते है।
जातक शनि देव की पूजा करे: शनि देव की नियमित रूप से पूजा करने से विष योग के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं। प्रत्येक शनिवार को दर्शन अर्चन करे।
मंत्र जाप: शनि देव के मंत्रों का “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनिस्चरायें नमः” जाप करना बहुत ही लाभदायक होता है।
अन्न दाल दान: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, लोहे की वस्तुएं और नीले रंग की चीजें दान करनी चाहिए।
रत्न: नीलम रत्न धारण करने से भी विष योग के प्रभाव कम हो सकते हैं।
ज्योतिषीय उपाय: ज्योतिषी से सलाह लेकर अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं।
सावधान ! ध्यान रखें कि ज्योतिष एक जटिल विषय है और विष योग के प्रभाव व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपके जीवन में विष योग का प्रभाव है, तो किसी अनुभवी आचार्य या एस्ट्रोलॉजर से सही परामर्श जरूर ले लेवें।
क्या आप विष योग के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं? या फिर आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में विष योग है या नहीं? आप सत्यमेधा एस्ट्रो संस्था से 09990555334 पर सम्पर्क कर सकते है।
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